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छत्तीसगढ़ में कोयला संकट सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र से मांगा छत्तीसगढ़ के हिस्से का कोयला

*छत्तीसगढ़ में कोयला संकट सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र से मांगा छत्तीसगढ़ के हिस्से का कोयला*

*कहा भविष्य में बिजली संकट राज्य में सिर्फ 5 दिन का कोयला*

*सरप्लस राज्य में बिजली कंपनियों ने मेंटेनेंस के नाम पर दिवाली से पहले ही शुरू कर दी है अघोषित बिजली कटौती*

*नौ भाजपा सांसदों की रहस्यमयी चुप्पी*

gs24news रायपुर।

अपने कोयले से अन्य राज्यों को रोशन करने वाला छत्तीसगढ़ इस बार त्योहार के दौरान ही बिजली संकट का सामना कर रहा है. कारण यह है कि राज्य के तीन बड़े बिजली संयंत्रों के पास औसतन 5 दिन का कोयला ही बचा है।
सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार के प्रति सौतेला व्यवहार अपनाने एवं मौजूदा कोयला संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है। राज्य ने बीजेपी को भी घेर लिया है जबकि बीजेपी सांसद कहते हैं कि कंपनियां हमें बताती नही हैं।
राज्य में गहराते कोयला संकट को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है सीएम ने कहा कि कोयला ढोने के लिए यात्री ट्रेनों को रोक दिया गया है जिससे छत्तीसगढ़ के यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इसके बावजूद छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनियों को पर्याप्त कोयले के लिए रेक क्यों नहीं मिल रहे हैं। सीएम ने यह भी सवाल उठाया कि छत्तीसगढ़ का कोयला कहां जा रहा है सीएम ने संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति नहीं करने पर छत्तीसगढ़ भाजपा को भी कटघरे में खड़ा किया।
सीएम के बयान पर रायपुर के सांसद सुनील सोनी ने जवाब दिया कि रेलवे और कोल कंपनी के पास संसाधन सीमित हैं. सभी को आवश्यकता के अनुसार कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है। कोई दिक्कत हो तो बिजली कंपनी के अधिकारी हमें बताएं। हम रेल मंत्रालय से बात करेंगे।
सियासी आरोपों से इतर हकीकत पर नजर डालें तो सरप्लस राज्य में बिजली कंपनियों ने मेंटेनेंस के नामपर दिवाली से पहले ही अघोषित बिजली कटौती शुरू कर दी है।
दरअसल, कुछ समय से कोयला कंपनियों से कोयले की आपूर्ति कम होने से बिजली उत्पादन कंपनी के पास कोयले का स्टॉक कम हो गया है।
छत्तीसगढ़ में बिजली कंपनी के तीन बड़े बिजली संयंत्र डीएसपीएम, एसटीपीएस और मडवा हैं, लेकिन तीनों के पास औसतन 5 दिनों का कोयला स्टॉक है।
अधिकारियों के मुताबिक इतने बड़े प्लांट के लिए बैकअप स्टॉक जरूरी है। इसलिए यहां रोजाना रेलवे के चार रेक लगाने पड़ते हैं। लेकिन रेलवे केवल दो रेक उपलब्ध करा रहा है।
हालांकि, त्योहारी सीजन के दौरान मांग को पूरा करने के लिए, यह आवश्यक है कि संयंत्रों के पास पर्याप्त कोयला स्टॉक उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कोयला कंपनियों ने राज्य को अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराने पर सहमति जताई, लेकिन रेलवे की ओर से रेक उपलब्ध नहीं होने के कारण कोयले का पर्याप्त स्टॉक नहीं हो पा रहा है। यानी अगर बिजली की मांग बढ़ती है तो बिजली कंपनी लोड शेडिंग करने को मजबूर हो जाएंगी।
जिसका खामियाजा छत्तीसगढ़ की आम जनता एवं उद्योग धंधों को भुगतना पड़ेगा।

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