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‘भैया जी’ की जमानत रद्द:रेप के आरोपी को स्वागत में पोस्टर लगवाना महंगा पड़ा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह निर्लज्ज आचरण

मध्य प्रदेश के जबलपुर में दुष्कर्म के आरोपी को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद शहर भर में ‘भैया इज बैक’ के पोस्टर लगवाना महंगा पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की जमानत रद्द कर हुए वापस जेल भेजने का आदेश सुना दिया। चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने पीड़िता की याचिका पर फैसला सुनाते हुए आरोपी को एक हफ्ते में पुलिस के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया।

मध्यप्रदेश में विवाह का झांसा देकर दुष्कर्म के आरोपी ABVP के छात्र नेता को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसके बाद उसके समर्थकों ने शहर भर में ‘भैया इज बैक’ के पोस्टर लगवाए थे। इसके बाद पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी की जमानत खारिज करने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए 20 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। गुरुवार को अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, आरोपी के समर्थकों ने जिस तरह के पोस्टर लगाए, यह आरोपी के प्रभाव को उजागर करते हैं। समाज में इसका पीड़िता और उसके परिवार पर गलत प्रभाव पड़ेगा।

निर्लज्ज आचरण ने पीड़िता में भय पैदा किया
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी को दो महीने बाद जमानत मिली थी, लेकिन पोस्टर लगाना दिखाता है कि मानो जमानत पर लौटने का जश्न मना रहे हों। इस निर्लज्ज आचरण ने पीड़िता के मन में भय पैदा कर दिया कि अगर वह जमानत पर रहता है तो निष्पक्ष और स्वतंत्र ट्रायल नहीं मिलेगा।

कोर्ट ने कहा- आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है। पीड़िता के पिता ने जबलपुर एसपी को ज्ञापन भी दिया। इस तरह की हरकत पर आरोपी जमानत की रियायत का हकदार नहीं है। हम उसकी जमानत रद्द कर रहे हैं।

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