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छत्तीसगढ़

नागपंचमी पर कांग्रेस विधायक का नगमत गीत :राजकुमार यादव ने सड़क किनारे जमाई मंडली

जांजगीर-चांपा में चंद्रपुर से कांग्रेस विधायक राजकुमार यादव नागपंचमी पर फिर एक नए अंदाज में दिखाई दिए। इस बार उन्होंने लोकगीत परंपरा से विलुप्त हो रहे नगमत की मंडली जमाई। सड़क किनारे उन्होंने ‘गदबिद गदबिद घोड़ा कुदावय, पहिने पिउरा धोती’ गाया तो नाग-नागिन बनकर लोग भी नाचने लगे। उनको इस गायन का अब वीडियो वायरल है और लोग जमकर तारीफ भी कर रहे हैं।

दरअसल, चंद्रपुर में ही नागपंचमी के अवसर पर बुधवार को पूजन के बाद एक छोटे से मेले का आयोजन किया गया था। अपनी सादगी के लिए पहचाने जाने वाले स्थानीय विधायक राजकुमार यादव भी उसमें शिरकत करने के लिए पहुंच गए। वहां परंपरागत नगमत कार्यक्रम होते देखा तो खुद को रोक नहीं सके। फिर सड़क किनारे ही पूजन स्थल के सामने उन्होंने मंडली जमा ली। माइक हाथ में थामा और नगमत का गायन शुरू कर दिया।

नाग-नागिन बने युवकों ने गीत की धुन पर किया डांस
विधायक को इस तरह गायन करते देख लोग भी वहां एकत्र हो गए। फिर विधायक की गायन शैली के कायल हुए लोग उनके गीत की धुन पर झूमने भी लगे। दो युवकों ने तो नाग-नागिन के रूप में सड़क पर नाचना शुरू कर दिया। यहां विधायक ने नगमत गायन कर लोगों की खूब तालियां बटोरी। इससे पहले भी विधायक राजकुमार मानस गायन, रावत नाच के दौरान हैरतअंगेज प्रदर्शन कर चुके हैं। उनके इस खास छत्तीसगढ़िया अंदाज के मुख्यमंत्री भी कायल हैं।

क्या है नगमत गीत
छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा में नगमत का बहुत महत्व है। नागपंचमी को गाए जाने वाले इस लोक गीत को गुरू की प्रशंसा के साथ ही नाग-देवता का गुणगान और नाग दंश से सुरक्षा की गुहार में गाया जाता है। फिलहाल विधायक राजकुमार यादव ने जो गीत गाया उसका अर्थ ग्राम देवता यानी ठाकुर देवता को खुश करने और उनके गुणगान के लिए था। यह एक विलुप्त होती परंपरा का गीत है। इसे अब बहुत कम लोग ही जानते हैं।

सबसे कम संपत्ति वाले विधायक, सादगी के लिए मशहूर
दरअसल पिछली बार पांच विधानसभा मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में चुनाव हुए थे। इनमें सबसे कम संपत्ति छत्तीसगढ़ से विधायक राजकुमार यादव की ही थी। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विधायक रामकुमार यादव ने हलफनामे में 30,464 रुपए बताई। दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश में भाजपा के रामकुमार डोंगरे थे, जिन्होंने 50 हजार के करीब अपनी संपत्ति घोषित की।

चरवाहे से तय किया विधानसभा तक का सफर
विधायक राजकुमार के माता-पिता कभी स्कूल नहीं गए। जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं था। केवल जमगहन गांव में एक मिट्टी का घर था।माता-पिता मजदूरी करते। माता-पिता के साथ रामकुमार यादव पंजाब चले गए। वहां स्कूल जाने के लिए गांव के सभी बैल, भैंस, गाय चराने की जिम्मेदारी उठाई। जब 18 साल के हुए तो सोच लिया कि विधायक बनना है। पहली बार जनसहयोग से गांव में सड़क बनवाई। फिर 21 की उम्र में जिला पंचायत सदस्य बने। 2018 में पहली बार कांग्रेस से चुनाव लड़ा और विधायक बने।

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