धर्म
देवी का पांचवा रूप स्कंदमाता को समर्पित है नवरात्रि का पांचवा दिन………

- मां स्कंदमाता का रूप मातृत्व को परिभाषित करने वाला है. कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अगर मां के स्कंदमाता स्वरूप की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करें तो माता उनकी गोद जरूर भरती हैं और उन्हें तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है.
चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं. हर दिन माता के अलग रूप की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता (Skandmata) की पूजा की जाती है. स्कंदमाता शब्द ही दो शब्दों से मिलकर बना है स्कंद और माता. स्कंद कार्तिकेय भगवान का नाम है, जो कार्तिकेय की माता हैं, वो स्कंदमाता कहलाती हैं. चार भुजाधारी स्कंदमाता अपने एक हाथ में कार्तिकेय को पकड़े हुए हैं, उनके दूसरे और तीसरे हाथ में कमल है और चौथे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. माता का ये रूप मातृत्व को परिभाषित करने वाला है. मान्यता है कि नि:संतान दंपति मिलकर मां के इस स्वरूप की पूजा करें तो उन्हें तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है .