Downlod GS24NEWS APP
छत्तीसगढ़

*खरसिया क्षेत्र की गिरदावली में गड़बड़ी से शासन को वित्तीय हानि की संभावना*

*खरसिया क्षेत्र की गिरदावली में गड़बड़ी से शासन को वित्तीय हानि की संभावना* @ कैलाश शर्मा

*बीज उत्पादन केंद्र में पंजीकृत रकबा का गिरदावली में नहीं किया गया है इंद्राज*

*@कैलाश शर्मा खरसिया*

खरसिया क्षेत्र के किसानों द्वारा सुगंधित धान उत्पादन हेतु बीज उत्पादन कार्यक्रम अंतर्गत अपना पंजीयन करवाया जाता है जिसका गिरदावरी में सुगंधित धान के रूप में इंद्राज नहीं किया गया है। कृषि विभाग खरसिया से मिली जानकारी के अनुसार किसानों द्वारा बीज उत्पादन संस्था में 103 हेक्टेयर रकबा पंजीकृत कराया गया है। परंतु गिरदावली में यह रकबा 28 हेक्टेयर दर्ज है जिसमें 75 हेक्टेयर रकबा का फर्क आ रहा है। इस गलती की वजह से किसान एक ही रकबे से सुगंधित धान और समिति में सामान्य धान बेचकर दोहरा लाभ उठा सकते हैं जिससे शासन को बड़ी वित्तीय हानि होने की संभावना है। समर्थन मूल्य पर समितियों में धान खरीदी के अलावा एक और जगह होती है जहां किसान अलग से पंजीयन करवाकर धान बेचते हैं। बीज निगम के अधीन प्रक्रिया केंद्रों में भी धान की विशेष किस्मों का पंजीयन किसान करते हैं। इनका पंजीयन समितियों में धान बेचने के लिए नहीं होना चाहिए। गिरदावरी में इस सुगंधित धान के रकबे में अंतर मिल रहा है। मतलब किसान को दोनों जगहों पर धान बेचने के लिए गिरदावरी में गड़बड़ी की गई है।
छग राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम हर साल किसानों से सुगंधित धान समेत कुछ विशेष किस्मों के बीज खरीदने के लिए किसानों से एग्रीमेंट करता है। बीज प्रक्रिया केंद्र के माध्यम से किसानों के रकबे का पंजीयन होता है। उस किसान के सुगंधित धान के रकबे का पंजीयन सहकारी समितियों में न हो, इसके लिए गिरदावरी में सही एंट्री होनी चाहिए। राजस्व विभाग जब गिरदावरी की एंट्री करता है तो धान के अलावा दूसरी फसलों की एंट्री होती है। सुगंधित धान भी इसी श्रेणी में आता है। यहीं पर गड़बड़ी होती है। या जानबूझकर गड़बड़ी की जाती है जिससे किसानों को और धान खरीदी केंद्रों को फायदा पहुंचाया जा सके। बीज प्रक्रिया केंद्र में दर्ज रकबे और गिरदावरी का रकबा एक समान होना चाहिए। लेकिन रायगढ़ जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। खरसिया तहसील से यह दिलचस्प मामला सामने आया है। बीज प्रक्रिया केंद्र चपले और गिरदावरी के आंकड़ों को देखा गया तो पता चला कि 14 गांवों के रकबे में 75 हेक्टेयर का अंतर आया है। बगडेबा, डेराडीह, ठुसेकेला, सरवानी, परसकोल, तिउर, घघरा, मकरी, नावापारा, महका, गोपीमहका, रतनमहका, खरसिया और बसनाझर के कई किसानों ने 103 हेक्टेयर का पंजीयन सुगंधित धान के बीज उत्पादन के लिए किया है। गिरदावरी में सुगंधित धान का रकबा जब दर्ज किया गया तो इन 14 गांवों में केवल 28 हेक्टेयर ही रकबा मिला। मतलब 75 हेक्टेयर का अंतर आया। इस गलती की वजह से किसान एक ही रकबे से सुगंधित धान और समिति में सामान्य धान बेचकर दोहरा लाभ उठा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर किसी किसान ने सुगंधित धान बीज उत्पादन के लिए पांच एकड़ का पंजीयन कराया है। गिरदावरी में सांठगांठ कर सुगंधित धान के रकबे को दो एकड़ ही दर्ज करवाया। मतलब वह किसान बीज निगम में पांच एकड़ से उत्पादित बीज बेचेगा। इधर सहकारी समिति में उसी पांच एकड़ में से तीन एकड़ में सामान्य धान भी बेचेगा। मतलब पांच एकड़ के रकबे पर आठ एकड़ का धान बेचा जाएगा।
यहां बताते चलें कि शासन द्वारा प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य में की जाती है वही प्रति एकड़ धान का उत्पादन लगभग 25 क्विंटल तक होता है ऐसे में क्षेत्र के बड़े किसानों द्वारा अपने कुल रख दे में से कुछ हिस्सा बीज प्रमाणीकरण केंद्र में सुगंधित धान उत्पादन एवं अन्य उत्पादन के लिए किया जाता है सरकार द्वारा भी इनको प्रति एकड़ ₹10 हजार प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है गिरदावरी में सही पंजीयन ना होने की वजह से इनके द्वारा अपने बचे हुए धान का भी विक्रय समितियों में किया जा सकता है और शासन से दोहरा तिहरा लाभ प्राप्त कर सकते है।

Related Articles

Back to top button